गाय की महत्ता और आवश्यकता

>> Monday, May 25, 2015

राजीव दिक्षित कहते है गाय विश्व की माता है‒‘गावो विश्वस्य मातरः ।’ सूर्य, वरुण, वायु आदि देवताओं को यज्ञ, होम में दी हुई आहुति से जो खुराक, पुष्टि मिलती है, वह गाय के घी से ही मिलती है । होम में गाय के घी की ही आहुति दी जाती है, जिससे सूर्य की किरणें पुष्ट होती हैं । किरणें पुष्ट होने से वर्षा होती है और वर्षा से सभी प्रकार के अन्न, पौधे, घास आदि पैदा होते हैं,जिनसे सम्पूर्ण स्थावर-जंगम, चर-अचर प्राणियों का भरण-पोषण होता है ।

"अग्नौ प्रास्ताहुतिः सम्यगादित्यमुपतिष्ठते । आदित्याज्जायते वृष्टिर्वृष्टेरन्नं ततः प्रजा ॥ (मनु॰ ३ । ७६) 

 Cow is the Mother of the World ‒ ‘गावो विश्वस्य मातरः ।’ The nourishment received from the offerings placed in the sacrificial fire to the Sun,Varun, Wind and various others devatas, comes from cow’s ghee (clarified butter). It is only the cow’s ghee that is given as oblation into the sacrificial fire. When the Sun’s rays are nourished, it rains, and with the rains, all forms of vegetation, plants, saplings, grass etc. begin to grow, by which all the sentient-inert, mobile-immobile beings are provided for.

 हिन्दुओं के गर्भाधान, जन्म, नामकरण आदि जितने संस्कार होते हैं, उन सब में गाय के दूध, घी, गोबर आदि की मुख्यता होती है । द्विजातियों को जो यज्ञोपवीत दिया जाता है, उसमें गाय का पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र) का सेवन कराया जाता है । यज्ञोपवीत-संस्कार होने पर वे वेद पढ़ने के अधिकारी होते हैं । अच्छे ब्राह्मण का लड़का भी यज्ञोपवीत-संस्कार के बिना वेद पढ़ने का अधिकारी नहीं होता । जहाँ विवाह-संस्कार होता है, वहाँ भी गाय के गोबर का लेप कर के शुद्धि करते हैं । विवाह के समय गोदान का भी बहुत माहात्म्य है । पुराने जमाने में वाग्दान (सगाई) के समय बैल दिया जाता था । जननाशौच और मरणाशौच मिटाने के लिये गाय का गोबर और गोमूत्र ही काम में लिया जाता है;क्योंकि गाय के गोबर में लक्ष्मी का और गोमूत्र में गंगाजी का निवास है । 

 ​ At all the various different ceremonial events, such as at conception, birth, namimg ceremony etc. cow’s milk, ghee, cow dung “gobar” are essential. In Hindu Dharm, even in the ceremony of the twice born, the five elements that came from the cow (panchgavya) are essential - milk, yoghurt, ghee, cow dung, and cow urine. After completing the “yagyopaveet sanskaar”, one becomes entitled to read the Vedas. A child of an eminent Brahmin too cannot become entitled to study the Vedas without completing the “yagyopaveet sanskaar”. Even in a hindu marriage ceremony, cow dung is applied to purify the place. Also at the time of marriage, donating a cow is regarded as great. In olden days, when one was engaged to be married, a bull is given as gift. For freedom from the pains of birth and death, only cow dung and cow urine are used; because Goddess Lakshmi resides in Cow dung and Gangaji resides in cow’s urine. 

 जब मनुष्य बीमार हो जाता है, तब उसको गाय का दूध पीने के लिये देते हैं; क्योंकि गाय का दूध तुरंत बल, शक्ति देता है । अगर बीमार मनुष्य को अन्न भी न पचे तो उसके पास गाय के घी और खाद्य पदार्थों की अग्नि में आहुति देने पर उस के धुएँ से उसको खुराक मिलती है । जब मनुष्य मरने लगता है, तब उसके मुख में तुलसी मिश्रित गंगाजल या गाय का दही देते हैं । कारण कि कोई मनुष्य यात्रा के लिये रवाना होता है तो उस समय गाय का दही लेना मांगलिक होता है । जो सदा के लिये यहाँ से रवाना हो रहा है, उसको गाय का दही अवश्य देना चाहिये, जिससे परलोक में उसका मंगल हो । अन्तकाल में मनुष्य को जैसे गंगाजल देने का माहात्म्य है, वैसा ही माहात्म्य गाय का दही देने का है । ​When man becomes ill, he is given cow’s milk to drink; because cow’s milk immediately gives strength and energy. Even a sick person is unable to digest any food, then next to him a sacrificial fire with offering of cow’s ghee and edible objects is performed. On doing so, the sick person gets nourishment from the smoke and fire. When a man is about to die, then in his mouth is placed a Tulasi leaf, or Holy Ganga water or yoghurt made of cow’s milk. Because consuming yoghurt made from cow’s milk is considered auspicious, when a man leaves to take a journey. He who is leaving once and for all from here, he must definitely be given yoghurt made from cow’s milk, by which life after will be auspicious. At the end stage of a man’s life, there is much glories in giving Holy water of Ganga, in the same way, there are glories of giving yoghurt made of Cow’s milk.

 वैतरणी से बचनेके लिये गोदान किया जाता है । श्राद्ध-कर्म में गाय के दूध की खीर बनायी जाती है; क्योंकि पवित्र होने से इस खीर से पितरों की बहुत ज्यादा तृप्ति होती है । मनुष्य, देवता, पितर आदि सभी को गाय के दूध, घी आदि से पुष्टि मिलती है । अतः गाय विश्व की माता है । 

 To be saved from Yama (Devata of Lower Regions), cows are donated in charity. During period of mourning and related rituals, ‘kheer’ made of cow’s milk is prepared; because it being pure, the ancestors who have moved on to after life, are nourished and gratified. Man, the evatas, the ancestors all are nourished by cow’s milk, ‘ghee’, etc. Therefore Cow is the Mother of the World. ​

 गाय के अंगों में सम्पूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है । गाय की छाया भी बड़ी शुभ मानी गयी है । यात्रा के समय गाय या साँड़ दाहिने आ जाय तो शुभ माना जाता है और उसके दर्शन से यात्रा सफल हो जाती है । दूध पिलाती गाय का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है‒‘सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा’ (मानस, बाल॰ ३०३ । ३) गाय महान् पवित्र होती है । उसके शरीर का स्पर्श करनेवाली हवा भी पवित्र होती है । उसके गोबर-गोमूत्र भी पवित्र होते हैं । जहाँ गाय बैठती है, वहाँ की भूमि पवित्र होती है । गाय के चरणों की रज (धूल) भी पवित्र होती है । 

 It has been told that all the ‘devatas’ are residing in the cow’s body. Even the shadow of a cow is regarded as auspicious. During travels, if a cow comes on your right side, then it is believed to be ‘auspicious’, and simply by seeing it, one’s journey will be successful. Seeing a cow who is still nursing her young one, is believed to be very auspicious - 

 ‒‘सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा’ (मानस, बाल॰३०३ । ३)

 A cow is extremely pure. Even the air that touches its body, is pure. Cow dung and urine are also pure. Wherever the cow sits, that land too is pure. The soil that touches the cow is also very pure.  

गाय से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष‒इन चारों की सिद्धि होती है । गोपालन से, गाय के दूध, घी, गोबर आदि से धन की वृद्धि होती है । कोई भी धार्मिक कृत्य गाय के बिना नहीं होता । सम्पूर्ण धार्मिक कार्यों में गाय का दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र काम में आते हैं । कामनापूर्ति के लिये किये जानेवाले यज्ञों में भी गाय का घी आदि काम में आता है । बाजीकरण आदि प्रयोगों में भी गाय के दूध और घी की मुख्यता रहती है । निष्कामभाव से गाय की सेवा करने से मोक्ष होता है । 

गाय की सेवा करनेमात्र से अन्तःकरण निर्मल होता है । भगवान् श्रीकृष्ण ने भी बिना जूती के गायों को चराया था, जिससे उनका नाम ‘गोपाल’ पड़ा । प्राचीन काल में ऋषिलोग वन में रहते हुए अपने पास गायें रखा करते थे । गाय के दूध-घी का सेवन करने से उनकी बुद्धि बड़ी विलक्षण होती थी, जिससे वे बड़े-बड़े ग्रन्थों की रचना किया करते थे ।आजकल तो उन ग्रन्थों को ठीक-ठीक समझनेवाले भी कम हैं । गाय के दूध-घीसे वे दीर्घायु होते थे । गाय के घी का एक नाम ‘आयु’ भी है । बड़े-बड़े राजालोग भी उन ऋषियोंके पास आते थे और उनकी सलाह से राज्य चलाते थे ।

 All four - Wealth and Prosperity, Duty and Righteousness, Worldly Desires and Liberation (Arth, Dharm, Kaam, Moksh) are accomplished through a cow. By taking care of cows, milk, ghee, cow dung etc. that increase wealth are produced. Religious ritual cannot be completed without cows. In all religious events, cow’s milk, ghee, cow-dung, and cow urine are useful. In all the sacrificial offerings that are performed to achieve a desired result, cow’s ghee etc. are useful. In various practices too, cow’s milk and ghee is most important. One attains liberation, when serving a cow, without any selfish motive. One’s mind-intellect is purified, simply by serving a cow. Even Shri Krishn was named ‘Gopala’ as he grazed cows without wearing any shoes. In olden days, the Rishis who used to live in the forest, they too used to keep cows with them. By consuming cow’s milk and ghee, their intellect becomes exceptional, by which they are able to compose various great and voluminous holy text. Nowadays, the people who know and understand those holy texts well are very few. With the cow’s milk and ghee, they gain longevity. One name for cow’s ghee is also ‘life span’ (aayu). Regarding the smooth operation of their kingdom, many great kings used to also visit those Rishis for advice. 

 गाय इतनी पवित्र है कि देवताओं ने भी उसको अपना निवास-स्थान बनाया है । जिसका गोबर और गोमूत्र भी इतना पवित्र है, फिर वह स्वयं कितनी पवित्र होगी ! एक गाय का पूजन करने से सब देवताओं का पूजन हो जाता है,जिससे सब देवताओं को पुष्टि मिलती है । पुष्ट हुए देवताओं के द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन, पालन, रक्षण होता है ।

 A cow is so pure that even the ‘Devatas’ have made her their abode in her. Whose cow dung and cow urine itself is so pure, then the cow itself must be so very pure ! By worshipping a cow, all the ‘devatas’ are worshipped, and all the‘devatas’ receive nourishment. Through the nourished ‘devatas’, all of creation functions, is provided for and protected.


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