भोपाल त्रासदीः सीबीआई ने अपनी गलती मानी

>> Wednesday, April 13, 2011

सीबीआई ने आज उच्चतम न्यायालय में माना कि उसने भोपाल गैस कांड के आरोपियों के खिलाफ़ कठोर आरोपों को बहाल करने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा देर से खटखटाकर ‘गलती’की. इसकी वजह से दुनिया के भीषणतम औद्योगिक हादसे के आरोपी मामूली सजा पाकर बच निकले.

इस औद्योगिक हादसे में 15 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी. जांच एजेंसी ने कहा कि यह‘साधारण मामला’नहीं है जिसमें उपचारात्मक याचिका क्यूरेटिव पेटिशन दायर करने में हुई देरी इस हादसे के पीडितों को न्याय देने की राह में बाधक बनेगा. सीबीआई ने अपनी याचिका में आरोपियों के खिलाफ़ गैर इरादतन हत्या के आरोप को बहाल करने की मांग की है. इसके तहत अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है.

अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाडिया की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की विशेष पीठ के समक्ष कहा, ‘‘यह साधारण मामला नहीं है क्योंकि इसमें अनेक लोगों की जान गई. सिर्फ़ देरी के आधार पर न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता. हमने गलती की.’’

जब पीठ ने सीबीआई के 15-16 वषरें बाद न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर सवाल पूछा तो वाहनवती ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं जानता कि क्यों सीबीआई ने याचिका नहीं दायर की लेकिन इस मामले में किसी और ने एक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी और इसे खारिज कर दिया गया था.’’


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