देश भगतों को उनके जनम व शाहदत दिवस पर ही क्यों याद किया जाता है

>> Wednesday, November 2, 2011

भारत देश में इतने देश भगत हो चुके है जिनकी देश भगती के कारण ही आज हम साँस ले रहे है , तथा आजादी का सुख मान रहे है | अगर वे देश भगत ना होते तो हम इस आजादी का सुख प्राप्त नहीं कर सकते थे | पर बहुत ही दुख के साथ मैं कह रहा हूँ के आज लोग सिर्फ देश भगतों को उनके जनम व शाहदत दिवस पर ही याद करते है | क्या हम हर दिन देश भगतों को याद नहीं कर सकते | क्या हर रोज उनको शारदा सुमन भेंट नहीं कर सकते | क्या शहीदों ने सिर्फ यह दिन देखने के लिए शाहदत दी थी की साल में एक दिन  देश  भगतों को  याद करोगे ओर बाकि पुरे वर्ष हमे भूल जाओ |

नही बिल्कुल नहीं |

हमे हर दिन को देश भगतो का जनम दिवस मानना चाहिए , हर दिन देश भगतों को याद करना चाहिए , उनका हर दिन शाहदत का दिन होता है | जेसे हमारे लिए साँस लीना अवशक है वैसे ही हमारे सारे देश भगत है , उने हमे अपने हर साँस में याद करना होगा,

असल में जनम दिवस मानाने का यही मतलब होता है हमें अपने जीवन को उनके अनुसार ढालना है हर दिन जनम दिवस मानाने का व हर दिन शहादत दिवस मानाने का भी यही मतलब है के , हमे हर दिन अपने जीवन में बदलाव लाना है |

यह बदलाव कैसे आ सकता है |

यह बदलाव हर दिन देश भगतो को शारदा सुमन भेंट करने से प्राप्त हो सकता है |

आज कुछ सजनों के मुझ को फोन आये, उन्होंने कहा के राजीव भाई का ३० नवंबर को जनम दिवस व शाहदत दिवस मनाना है | मैने उनको कहा के, क्या हम रोज नहीं माना सकते | राजीव भाई तथा अन्य देश भगतों को उनके जनम डेट और शाहदत डेट पर याद करने का मतलब तो यह भी हुआ के, आप सारा साल उनके बतये रास्तो पर न चलो | बस साल में एक दिवस निकालो | फिर अगले साल तक उस को भूल जाओं | सिर्फ इसी धरना की वजह से देश का विकास नहीं हो रहा | हम को सबसे पहेले इस सोच को मिटाना होगा | जब तक हम रोज देश भगतो को याद करना नहीं सीखे गे तबतक , साल में एक दिन देश भगतो को याद कराना एक ड्रामा करने के बराबर होगा |

उपरोक्त को जरा इस नजरिये से समजिये | १२ महीनो में ३६५ दिवस होते है | भारत वर्ष में लाखो देश भगतों ने बलिदान दे दिया है | क्या इस हिसाब से हर देश भगत का हर घंटे जनम नहीं हो रहा | क्या हर घंटे देश में से एक देश भगत शहीद नहीं हो रहा | क्या तुम देश भगतो को पक्षपात के द्रष्टि से देखते हो | चंद ५ या ६ देश भगतो का तो तुम जनम दिवस या शाहदत दिवस माना लेते हो बके लाखों के नहीं | या तुम्हरे मन में यह धरना बन चुकी है की किसी देश भगत ने तो सबसे ज्यादा बलिदान दिया ओर बाकियों ने नहीं | यदि ऐसा है तो आप की सोच बिल्कुल गलत है | पुरे भारत देश के देश भगतो की यदि आप जीवनियों को देखे तो आप को पता लगे गा के हर देश भगत का बलिदान किसी दूसरे देश भगत से काम नहीं है | अन्य शब्दों में हम इस की तुलना भी नहीं कर सकते |

एक अन्य सजन का फोन आया |  उस ने कहा के हमने देश भगत का जनम दिवस मानना है | आप हमे अपने परिचितों का ईमेल या मोबाइल नों. दे | मुझे बहुत ही हैरानी उसकी बात सुन कर हुई | लोगों की सोच सिर्फ कुछ लोगों को ईमेल से बुलाने पर ही सिमित हो गयी है | क्या भारत का हर नागरिक देश भगतो का जनम दिवस मानाने का अदिकारी नहीं है |  बलके होना तो यह चाहिए के उस सजन को अपने शहर के सभी व्यक्तियों को देश भगत के जनम दिवस पर बुलाना चाहिए | उसके बाद अपने जिले की लोगों को बुलाना चाहिए | या फिर सिर्फ देश भगतों का जनम दिवस मानाने की जगह पर सिर्फ देश भगतो की अनुसार अपने जीवन बिताने की कसम खानी चाहिए | यदि उस दिन आप किसी को मास, मच्छी, शराब तथा अन्य नशो को त्यागने के लिए प्रेरित कर सको तो इस से अच्छा तरीका ओर कोई भी नहीं हो सकता | 


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