My Real Janmashtami 2011 with Protection of Injured Cow

>> Tuesday, August 23, 2011





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1 comments:

संजय राणा August 24, 2011 at 6:16 PM  

प्रिय विनोद जी आज आपका यह कार्य देख कर मन गद गद् हो गया आप लोगों हे बहुत ही अच्छा पुन्य किया, और सही मायने में कृष्ण जन्माष्टमी का सही फर्ज निभाया जो कि इस दुनिया के आडम्बर दिखाने वाले लोग सिर्फ मंदिरों में जाकर चंद सिक्कों के खरीदे हुए सेब व् केले चडाकर और कृष्ण की मूर्ती के आगे माथा टेक कर उसे खुश होते समझ कर अपने कर्मो से इतिश्री कर लेते हैं जिसका कोई आर्ट नहीं है ना ही कोई फल मिलता है शायद इंसान आज इतने मंदिर और झूठा आस्तिक होने पर भी इसलिए दुखी नजर आ रहा है, क्यूंकि वास्तविक कर्म और हमारे कर्मो में जमीन आसमान का फर्क है !
आपको व् आपके लोगों को सचा साधुवाद !

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