चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार करने के लिए भारत का गदार 27th Feb. 1931 को सिर्फ Rs. 30,000 का बिका
>> Friday, February 25, 2011
बात आज से लगभग 80 वर्ष पुरानी है, अंग्रेजों ने आजाद जी को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए Rs. 30000 का इनाम रखा था | भारत के एक गदार ने लालच में आ कर अंग्रेजों को आजाद जी की सुचना दी | तथा आजाद जी अंग्रेजों से जंग करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए |
अ़ब अंदाजा लगाये की यदि उस समय भारत के एक रूपये की कीमत अमरीका के बीस डॉलर के बराबर हो तो उस समय आजाद जी को पकड़ने के आज के हिसाब से निम्न राशि निकलती है |
In 1931
Rs. 1 = $ 20
Rs. 20000 X $ 20 = $ 400000
In 2011
$ 1 = Rs. 45.46
Today on 25th Feb. 2011 को 1 $ = Rs. 45.4679
इस हिसाब से
$ 400,000 X Rs. Rs. 45.4679 = Rs. 1,81,87,160
मतलब इस हिसाब से उस समय
Rs. 1 Crores and 81 lakhs and 87 thousand and 160 में भारत का गदार बिका | इस से निम्न बाते सपष्ट होती है
१. # भारत के गदार कुते बहुत ही आसानी से अंग्रेजों को मिल जाते थे, जेसे आज कल की विदेशी कंपनियों को विज्ञापन करने वाले लोग |
२. # इन भारत के गदारों को कुता कहना कुता शब्द की तोहिन्न है, क्योंकि कुते को जिसे काटना होता है उसे सामने से भोंकता है पर भारत के गदार छुप- छुप भारत के देश भक्तों पर हमला करते रहे है |
३.# आजाद जी जैसे देश भक्तों को तो पहले से ही पता होता है कि दुश्मन कि गोलियों का हम सामना करेगें , आजाद है आजाद ही रहेगें |
४. # आज सुबह एक मित्र का फोन आया , उसने कहा के एक विदेशी कंपनी कालका से शिमला की ट्रेन खरीद ली है जिस में भारतीये नहीं बल्कि अंग्रेज घूमें गे | हमे इसे रोकने के लिए दुस्त्रों को कहना चाहिए |
तो क्या , आजाद जी पहले अरों से पूछते कि भाई आप तो देश के गदार हो , आप को सजा देने कि लिए पहले मीटिंग होगी, दूसरे सदस्यों को पूछा जाये गा व् फिर आप को गोली से मारा जाये गा , इतने में तो गदार , ९, २ , ११ भी हो सकता है | आजाद जी जैसे देश भक्त हमे सिखाते है कि दूसरों को पूछने से पहले ही गदारों को मार दिया जाये वरना देश में एक ओर महान क्रन्तिकारी को गदारों कि वजह से क़ुरबानी देनी होगी |
27 Feb. 2011 को महान क्रन्तिकारी चंदार्शेखर आजाद जी का शहीदी दिवस आने वाला है | इस पर हमें कसम कहानी चाहिए , कि आजाद जी की तरह हम भी विदेशी कंपनियों से आजाद रहीने की कोशिश करेगे तथा पिस्तोल के दम पर खुनी क्रांति दुआरा उन्हें भारत से बाहर निकलेगें | जब तक स्वास रहेंगे, भारत माता के लिए आजाद जी की भांति जीवन की औहोती देने के लिए भी तेयार रहगे | दुश्मनों से पहले भारत की गदारों को मारेगे | न रहेगा बांस न बजेगी बंसरी |
न रहगे भारत के गदार , न रहेगी भारत में विदेशी कंपनियां
इंकलाब जिंदाबाद , भारत माता की जय , वन्दे मातरम
जब तक सूरज चाँद रहेगा चंद्रशेखर आजाद का नाम रहेगा |
हमने सिर्फ उनका नाम ही नहीं रहने देना बलके, भारत को एक क्रन्तिकारी देश बनाने में आपने जीवन का समय भी लगा देना है |
अ़ब अंदाजा लगाये की यदि उस समय भारत के एक रूपये की कीमत अमरीका के बीस डॉलर के बराबर हो तो उस समय आजाद जी को पकड़ने के आज के हिसाब से निम्न राशि निकलती है |
In 1931
Rs. 1 = $ 20
Rs. 20000 X $ 20 = $ 400000
In 2011
$ 1 = Rs. 45.46
Today on 25th Feb. 2011 को 1 $ = Rs. 45.4679
इस हिसाब से
$ 400,000 X Rs. Rs. 45.4679 = Rs. 1,81,87,160
मतलब इस हिसाब से उस समय
Rs. 1 Crores and 81 lakhs and 87 thousand and 160 में भारत का गदार बिका | इस से निम्न बाते सपष्ट होती है
१. # भारत के गदार कुते बहुत ही आसानी से अंग्रेजों को मिल जाते थे, जेसे आज कल की विदेशी कंपनियों को विज्ञापन करने वाले लोग |
२. # इन भारत के गदारों को कुता कहना कुता शब्द की तोहिन्न है, क्योंकि कुते को जिसे काटना होता है उसे सामने से भोंकता है पर भारत के गदार छुप- छुप भारत के देश भक्तों पर हमला करते रहे है |
३.# आजाद जी जैसे देश भक्तों को तो पहले से ही पता होता है कि दुश्मन कि गोलियों का हम सामना करेगें , आजाद है आजाद ही रहेगें |
४. # आज सुबह एक मित्र का फोन आया , उसने कहा के एक विदेशी कंपनी कालका से शिमला की ट्रेन खरीद ली है जिस में भारतीये नहीं बल्कि अंग्रेज घूमें गे | हमे इसे रोकने के लिए दुस्त्रों को कहना चाहिए |
तो क्या , आजाद जी पहले अरों से पूछते कि भाई आप तो देश के गदार हो , आप को सजा देने कि लिए पहले मीटिंग होगी, दूसरे सदस्यों को पूछा जाये गा व् फिर आप को गोली से मारा जाये गा , इतने में तो गदार , ९, २ , ११ भी हो सकता है | आजाद जी जैसे देश भक्त हमे सिखाते है कि दूसरों को पूछने से पहले ही गदारों को मार दिया जाये वरना देश में एक ओर महान क्रन्तिकारी को गदारों कि वजह से क़ुरबानी देनी होगी |
27 Feb. 2011 को महान क्रन्तिकारी चंदार्शेखर आजाद जी का शहीदी दिवस आने वाला है | इस पर हमें कसम कहानी चाहिए , कि आजाद जी की तरह हम भी विदेशी कंपनियों से आजाद रहीने की कोशिश करेगे तथा पिस्तोल के दम पर खुनी क्रांति दुआरा उन्हें भारत से बाहर निकलेगें | जब तक स्वास रहेंगे, भारत माता के लिए आजाद जी की भांति जीवन की औहोती देने के लिए भी तेयार रहगे | दुश्मनों से पहले भारत की गदारों को मारेगे | न रहेगा बांस न बजेगी बंसरी |
न रहगे भारत के गदार , न रहेगी भारत में विदेशी कंपनियां
इंकलाब जिंदाबाद , भारत माता की जय , वन्दे मातरम
जब तक सूरज चाँद रहेगा चंद्रशेखर आजाद का नाम रहेगा |
हमने सिर्फ उनका नाम ही नहीं रहने देना बलके, भारत को एक क्रन्तिकारी देश बनाने में आपने जीवन का समय भी लगा देना है |
1 comments:
thanks for information.
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