1857 की क्रांति को विफल करने में भारत के गदारों का योगदान

>> Friday, February 18, 2011

आज कल मैं मंगल पांडे की जीवनी का अध्यनन कर रहा हूँ  , इसके अध्यनन से यह बात सपष्ट हो रही है, कि सिर्फ मंगल पांडे को यदि उसके साथी सहयोग देते तो भारत 1857 को ही आजाद हो सकता था ओर उस समय उसके साथी जो अंग्रेजों कि सेना में थे मंगल पांडे को सहयोग देने से इंकार कर दिया | पर मंगल पांडे ने इसके बाद भी हार नहीं मानी तथा कई अंग्रेजों को मार कर व् फांसी पर लटकर 1857 की क्रांति कि शुरुवात की |

असल में हुआ यह था की 2 july 1857 को एक दिन एक समय सभी भारत में अंग्रेजों को  पुरे भारत से बाहर भागने की योजना थे पर इसकी भी सूचने इस्ट इंडिया  कंपनी को चंद रुपयों के लालच में भारत के कुछ गदारों ने दे दी |  इसलिए तरीक बदल कर may 1857 रखा गया था , पर अंग्रेजों को जैसे ही पता लगा कि मंगल पांडे जो कि अंग्रेजी सेना में है इस team का हिसेदार है तो उसको मारने के लिए, ब्रम्हा से अंग्रेजों ने फोज व टोपे मंगवा ली थी | पर शेर कब तोपों से डरते है, उन्हें तो बस भारत के गदारों का ही दुख होता हो, जो के अंग्रेजों के आगे बिक जाते है ,

 और आज भी यही हो रहा है , विदेशी कंपनियां जहाँ चाहे वहाँ जमीन बहुत ही सस्ते दामों पर २० - २० साल के ठेके पर ले लेते है, और भारतीयों को 5% to 10% सेल पर दलाली दे कर भारत में अपना सारा मॉल बिकवाती है , असल में यह सेल agents को में दलाल नहीं , गद्दार कहूँगा | जो कि भारत को स्वदेशी के रास्ते ले जाने में सबसे पहले आने वाली रुकावट है |



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3 comments:

Mahender February 18, 2011 at 4:33 PM  

bahut gaddar bhare pade hai humare desh mai..............

Mahender February 18, 2011 at 4:34 PM  

mangal pandey amar rahe........

Anonymous,  February 23, 2011 at 11:58 PM  

sachin tendulkar, aishwarya ray, dhoni, etc all are agents of foreign companies. reject those celebrities because they are also gaddar, desh drohi..

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