एक अच्छा सुझाव

>> Friday, December 24, 2010

विनोद जी , नमस्कार
मेरा नाम देवांशु द्विवेदी है | मैं 18 वर्षीय नवयुवक हूँ तथा इस विश्व की प्राचीनतम सभ्यता एवं संस्कृतियों के विकास केन्द्र भारत देश का हृदय स्थल माने जाने वाले मध्य प्रदेश राज्य के सीमेंट उत्पादन में अग्रणी जिले सतना मे स्थित पद्मविभुषित उस्ताद अलाउद्दीन खाँ की कर्मस्थली एवं माँ शारदा की नगरी मैहर का निवासी हूँ |
बचपन से ही मैं वर्तमान भारत की अच्छाइयों एवं बुराइयों तथा भारत के स्वर्णिम एवं अंधकारमय इतिहास के प्रति चिंतनशील रहा हूँ |
चार माह पूर्व राजीव जी मैहर नगरी पधारे थे उसके पूर्व मैं उनको नहीं जानता था | अपने पिताजी से उनके बारे में जानने के बाद मैं उनके साथ राजीव जी के कार्यक्रम में पहुंचा, सामान्य रूप से मैं किसी भी कार्यक्रम में 2 घंटे से अधिक समय तक आराम से नहीं बैठ पाता परन्तु वहां उनके चमत्कारिक भाषण को 4 घंटे से अधिक समय तक आराम से मंत्रमुग्ध होकर सुनता रहा | अगले दिन मैंने उनसे औपचारिक मुलाकात भी की |
मैं 'भारत स्वाभिमान ' में शामिल होने का इच्छुक भी था परन्तु उस समय परिस्थितियोंवश ऐसा न हो सका |
घर में सूचना के सभी सामान्य साधन होने के बावजूद मुझको राजीव जी की मृत्यु की सूचना चार दिन बाद प्राप्त हुई | मुझको बहुत दुःख के साथ - साथ इस खबर पर मीडिया की उपेक्षा पर आश्चर्य भी हुआ | वर्तमान समय में राजीव जी देश के सबसे विद्वान एवं सहृदय देशभक्त थे | उनके भाषण को सुनकर यह आशा जागी थी की भारत पुनः अपने पुराने वैभव को प्राप्त कर लेगा और पूंजीपतियों एवं संपन्न तबके द्वारा निर्धन एवं निचले तबकों पर किये जा रहे अघोषित शोषण पर लगाम लगाई जा सकेगी, परन्तु उनकी मृत्यु से यह आशा वर्तमान में तो सुसुप्तावस्था में चली गयी है |
मैंने आपके ब्लॉग में राजीव जी के भाषण की सीडियाँ निःशुल्क बांटने की खबर पढ़ी है , और उसके लिए आवेदन भी कर दिया है , मैं राजीव जी से बहुत प्रभावित हूँ तथा उनके भाषण सुनकर एवं सुनाकर दूसरे लोगों को भी प्रभावित करना चाहता हूँ |
मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ | हमारे देश के सभी देशभक्तों एवं समाज सुधारकों ने हिंदी भाषा के विकास का प्रयास किया है क्योंकि हिंदी हमारी मात्रभाषा है , परन्तु आधुनिकता के दौर में लोग विदेशी भाषा अंग्रेजी में बात करने में अपनी शान समझते हैं | हमारे देश के संविधान ने हिंदी को राजकीय भाषा एवं अंग्रेजी को तत्कालीन समय में सहायक भाषा के रूप में मान्यता दी थी, तथा कुछ समय बाद हिंदी को पूर्णरूपेण राजकीय भाषा बना दिया जाना था परन्तु संविधान के लागू होने के 61 वर्षों के बाद देश में उल्टी गंगा बह रही है | राजीव जी के शब्दों में -
'देश में मात्र एक करोड़ लोग अंग्रेजी समझते हैं जबकि 114 करोड़ लोग अंग्रेजी नहीं समझते हैं लेकिन देश के काम अंग्रेजी में ही होते हैं सुप्रीम कोर्ट में सभी मामलों की सुनवाई अंग्रेजी में होती है |'
अतः मेरा मानना यह है की यदि आप अपने संगठन को आम लोगों से जोड़ना चाहते हैं, तो आपके ब्लॉग एवं इस संगठन की कार्यशैली में हिंदी भाषा का होना अत्यंत आवश्यक है |
वैश्वीकरण के इस दौर में अंग्रेजी भाषा का ज्ञान आवश्यक है परन्तु सामान्य बोलचाल की भाषा हिंदी ही होनी चाहिए


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1 comments:

dhirendra kumar December 30, 2010 at 2:43 AM  

namaskar
is blog ke madhyam se mai is blog ke sabhi pathako ko ek sandesh dena chahta hu.
aap sabo se ek nevedan hai ki aap logo ne apne orkut account ya phir facebook account me jo v community join kar rakhi hai usme agar koi rastrawadi community hai to uske moderator ko kripya rajiv dixit ka sandesh de or usse sambandhit sandesh ko us community me publish karne ka anurodh kare. isse bhai rajiv ji ka sandhesh adhik se adhik logo tak internet ke jariye pahuchega.
dhanywad
dhirendra kumar
dkruforu@gmail.com

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